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Monday, 14 November 2011

Court orders for probe into Chandrababu's assets

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चन्द्रबाबू नायडू की संपत्तियों की जाँच के आदेश 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

हैदराबाद, 14 नवंबर (सीएमसी) : आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय को पूर्व मुख्यमंत्री तथा तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू की संपत्तियों की जांच करने का निर्देश दिया.
वहीं नायडू ने अपने खिलाफ दाखिल याचिका को राजनीतिक मकसद से किया गया बताया. न्यायमूर्ति गुलाम मोहम्मद और न्यायमूर्ति नूती राममोहन राव की खंडपीठ ने वाईएसआर कांग्रेस की मानद अध्यक्ष और पुलिवेंदुला से विधायक वाई एस विजया की ओर से 17 अक्तूबर को दाखिल याचिका पर ये आदेश दिये.
नायडू ने याचिका को खुद को बदनाम करने की कोशिश करार दिया. उत्तर तटीय आंध्र के विजयनगरम जिले के दौरे पर निकले नायडू ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘उन्होंने (वाई एस विजया ने) मुझे बदनाम करने के द्वेषपूर्ण राजनीतिक इरादे से तथा जनता की नजर में मेरी साख और छवि खराब करने के मकसद से याचिका दाखिल की है.’
उन्होंने कहा, ‘यह आंध्र प्रदेश सरकार और संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारे संघर्ष से ध्यान हटाने की भी कोशिश है.’ नायडू ने कहा कि 2004 में वाई एस आर रेड्डी नीत कांग्रेस सरकार के आने के बाद से ही उनके खिलाफ कई मामले दाखिल किये गये और कई समितियां बनाई गयीं.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज तक वे मेरे मामले में कोई गलती साबित नहीं कर सके.’ नायडू ने कहा कि वह इस लिहाज से कानून के जानकारों से सलाह लेंगे. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश उन्हें नोटिस भेजे बिना जारी किया गया है.
नायडू ने कहा, ‘मैंने पहले ही न केवल अपनी संपत्ति बल्कि मेरे सभी परिजनों की भी संपत्ति घोषित कर दी है. मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं.’ दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी की पत्नी विजया ने नायडू के खिलाफ विभिन्न आधार पर सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराये जाने की याचिका दाखिल की थी.
विजया ने याचिका में कहा, ‘खुद को आर्थिक लाभ पहुंचाते हुए और राज्य के राजकोष को नुकसान पहुंचाते हुए नायडू ने कई लोगों के साथ मिलीभगत की और व्यवस्था को तोड़ा-मरोड़ा. उनके खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, भ्रष्टाचार, धन शोधन और कई अन्य तरह के आरोपों के तहत मामला बनता है.’
याचिका के अनुसार, ‘नायडू तथा अन्य निजी प्रतिवादियों की जल्द से जल्द सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच कराया जाना व्यापक जनहित में रहेगा क्योंकि अपराध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकृति के हैं, जिसके तार देश भर से जुड़े हुए हैं.’ अदालत ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और सेबी को जांच पूरी करने तथा तीन महीने के भीतर अलग-अलग रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

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