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Thursday, 31 May 2012

जारवा समुदाय के लिए क़ानून प्रस्ताव को मंजूरी

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जारवा समुदाय के लिए क़ानून प्रस्ताव को मंजूरी 

क्लीन मीडिया संवाददाता 
नई दिल्ली: 31 मई: (सीएमसी)   जारवा आदिवासी महिलाओं को अर्धनग्न दिखाने वाले वीडियो से उपजे विवाद के परिप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार ने आज अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह (आदिवासियों का संरक्षण) संशोधन नियमन 2012 बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया है।
उन्होंने बताया कि यह फैसला संविधान के अनुच्छेद-240 के तहत किया गया है, जो राष्ट्रपति को संघशासित क्षेत्रों में इस तरह के कदम उठाने का अधिकार देता है। अंबिका ने कहा कि यह कानून पूरे अंडमान निकोबार में लागू होगा और पर्यटन संस्थानों को प्रतिबंधित किया जाएगा। अन्य वाणिज्यिक संस्थानों को बफर जोन में नियमित किया जाएगा जो आदिवासियों को अवांछित बाहरी प्रभावों से सुरक्षित करेगा।
कानून में कडे दंडात्मक प्रावधान हैं ताकि आदिवासियों की रिहाइश के इलाकों में अनधिकृत प्रवेश, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, शिकार, शराब सेवन, ज्वलनशील पदार्थ या जैविक कीटाणु, पर्यटकों को आकषिर्त करने के लिए विज्ञापन आदि को रोका जा सके। बफर जोन जारवा आदिवासी रिजर्व के आसपास पांच किलोमीटर परिधि के दायरे में होगा।
अंबिका ने कहा कि दोषियों के खिलाफ 10 हजार रूपये तक के जुर्माने और तीन से सात साल के कारागार का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बफर जोन बनाने का पूर्व का प्रयास इसलिए विफल रहा था क्योंकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐसा करने से रोका था। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर विशेष याचिका लंबित है।