News

Friday 30 December 2011

समझदारी से कम लेती भाजपा- खुर्शीद

cleanmediatoday.blogspot.com

समझदारी से कम लेती भाजपा- खुर्शीद 
क्लीन मीडिया संवाददाता 


नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (सीएमसी) : कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी ने राज्यसभा में चर्चा से पहले लोकपाल विधेयक को लेकर अपनी समस्याएं नहीं बताईं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सीमित चर्चा के बाद विधेयक पर मत विभाजन कराने के लिए क्यों नहीं कहा।
 खुर्शीद ने राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं होने पर टीम अन्ना की आलोचना पर भी पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने लोकसभा में पारित विधेयक का भी स्वागत नहीं किया था। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि वे इतनी देर तक क्यो बोले? उन्हें (जेटली को) 10 मिनट बोलना चाहिए था। उन्हें जो कहना था 10 मिनट में कह सकते थे। वे अपने वक्ताओं की संख्या कम कर सकते थे।
 खुर्शीद ने कहा कि अगर भाजपा को लगता था कि उसे सदन के शेष सदस्यों का समर्थन है तो उसे बिना चर्चा के मत विभाजन कराने को कहना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वे इन सबका जवाब क्यों नहीं देते। यदि खेल हुआ तो दोनों तरफ से हुआ। वे खेल क्यों कर रहे हैं। विधेयक पारित नहीं होने पर टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी की आलोचना पर जवाब देते हुए खुर्शीद ने कहा कि वह बहुत कुछ कहती हैं और कहती रहेंगी। यह उनका अधिकार है। मुझे याद नहीं आता कि टीम अन्ना ने लोकसभा में लोकपाल विधेयक के पारित होने का स्वागत किया हो। हम तब भी बुरे थे और अब भी।
 भाजपा पर अनावश्यक देरी किए जाने का आरोप लगाते हुए खुर्शीद ने कहा कि यदि पार्टी को सदन में वास्तव में बहुमत था तो उन्हें इस पर बहस के बजाय मतदान कराना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक संभवत: संसद के अगले सत्र में पारित किया जाए। अन्ना हजारे की सहयोगी किरण बेदी के इस बयान पर विधेयक पर गतिरोध से उन्हें एक और मौका मिल गया है, खुर्शीद ने कहा कि किरण बेदी बहुत कुछ कहती रही हैं और वह आगे भी बहुत कुछ कहती रहेंगी, यह उनका अधिकार है, यह लोकतंत्र है।
 उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप अन्ना हजारे जी और उनके सहयोगियों की बात कर रहे हैं तो मुझे याद नहीं आता कि उन्होंने लोकसभा में विधेयक के पारित होने का स्वागत किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि हम विधेयक पारित करते हैं तो खलनायक हैं, नहीं करते हैं तो भी खलनायक हैं। यदि हमें किसी भी हालत में खलनायक ही होना है तो हमें वह करने दीजिए जो हम करना चाहते हैं और वे जो चाहते हैं उस पर प्रतिक्रिया का सवाल ही पैदा नहीं होता।

No comments:

Post a Comment