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सरकारी लोकपाल पर बिफरीं अरुणा
क्लीन मीडिया संवाददाता नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (सीएमसी) : सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय के नेतृत्व वाली संस्था एनसीपीआरआई ने लोकपाल विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह ओम्बुड्समैन को पर्याप्त स्वतंत्रता अथवा मामले की जांच की शक्ति प्रदान नहीं करता।
विधेयक की आलोचना करते हुए ‘नेशनल कंपेन फार पीपुल्स राइट टू इन्फार्मेशन’ (एनसीपीआरआई) ने कहा कि लोकपाल विधेयक, 2011 की उपयुक्तता का पता इस बात से चल सकता है कि क्या लोकपाल पर्याप्त रूप से स्वतंत्र है, क्या इसके पास भ्रष्टाचार मामलों का पता लगाने, उसकी जांच करने तथा अभियोजन चलाने का अधिकार है या नहीं है।
संगठन ने आरोप लगाया है कि लोकपाल तथा लोकायुक्त के लिये जो चयन प्रक्रिया की बात कही गई है, वह सत्तारुढ़ दल के पक्ष में है। संस्था ने राज्य पुलिस की जांच इकाई को लोकायुक्त प्रशासन के अंतर्गत लाने की मांग की ताकि उसके पास स्वतंत्र जांच एजेंसी हो। एनसीपीआरआई ने यह भी कहा है कि क्या प्रस्तावित लोकपास के पास पर्याप्त अधिकार क्षेत्र है जिससे वह देश के किसी भी नागरिक की प्रभावी जांच कर सके और भारत की जनता के प्रति जवाबदेह हो।
संगठन ने बयान में कहा, ‘संसद में पेश मौजूदा विधेयक स्वागत योग्य है। इसमें कई प्रावधान बेहतर हैं लेकिन मौजूदा रूप में विधेयक उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है।’ एनसीपीआरआई ने आरोप लगाया कि विधेयक में ओम्बुड्समैन के चयन की ऐसी प्रक्रिया की बात कही गयी है जो सत्तारूढ़ दल के पक्ष में है। इसमें पांच सदस्यों में से तीन सरकार या सत्तारूढ़ दल से या उसके द्वारा नामित होंगे। संगठन ने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामलों की जांच सीबीआई से कराये जाने की बात कही गयी है जबकि जांच एजेंसी सरकार से ‘पूरी तरह स्वतंत्र’ नहीं होगी।
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