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Monday 28 November 2011

बाबू सिंह कुशवाहा बसपा से निष्कासित

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बाबू सिंह कुशवाहा बसपा से निष्कासित 
क्लीन मीडिया संवाददाता 


लखनऊ, 28 नवम्बर (सीएमसी) : कभी मुख्यमंत्री मायावती के बेहद करीबी सहयोगी रहे पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को सोमवार को अनुशासनहीनता के आरोप में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निष्कासित कर दिया गया। बसपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने यहां बताया कि अनुशासनहीनता तथा पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण कुशवाहा को बसपा से निष्कासित कर दिया गया है।
 मौर्य ने दावा किया कि पार्टी ने कुशवाहा को बढ़ावा देने के लिए उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और फिर परिवार कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभाग सहित कई बड़े महकमों का मंत्री बनाया, लेकिन यह दुख की बात है कि उन्होंने परिवार कल्याण विभाग की जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वहन नहीं किया।
 उन्होंने कहा कि कुशवाहा के परिवार कल्याण मंत्री पद पर रहते विभाग के दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों डाक्टर विनोद कुमार आर्य और डाक्टर बीपी सिंह की हत्या हुई थी, जिसके बाद सरकार की छवि खराब होते देख उनसे इस्तीफा ले लिया गया था और वह विभाग अन्य काबीना मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंप दिया गया था।
 मौर्य ने कहा कि कुशवाहा के खिलाफ अनुशासनहीनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को बरगलाने की लगातार शिकायतें भी मिल रही थीं। हाल में कुशवाहा द्वारा मुख्यमंत्री मायावती को लिखे पत्र में नसीमुद्दीन, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और गृह विभाग के प्रमुख सचिव कुंवर फतेह बहादुर सिंह से जान का खतरा होने की बात का जिक्र करते हुए मौर्य ने कहा कि खुद पर जांच का शिकंजा कसते देख वह ऐसे अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। मौर्य ने कहा कि कुशवाहा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) मामले में सीबीआई की जांच से बचने के लिए कांग्रेस के लगातार संपर्क में भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य विधानमंडल दल के हाल के सत्र में कुशवाहा विधान परिषद में उपस्थित नहीं हुए और विरोधी दलों एवं नेताओं से मिलकर सरकार के विरुद्ध हंगामा करवाकर पार्टी तथा सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की।
 गौरतलब है कि पिछले साल अक्‍टूबर में परिवार कल्याण विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर विनोद कुमार आर्य तथा उनके स्थान पर तैनात हुए डाक्टर बीपी सिंह की गत दो अप्रैल को लखनऊ में हुई हत्या और एनआरएचएम पर अमल में वित्तीय गड़बड़ियां प्रकाश में आने के बाद विभागीय मंत्री कुशवाहा तथा स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्र से इस्तीफा ले लिया गया था। बाद में इसी सिलसिले में लखनऊ जेल में बंद उप मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर वाई. एस. सचान की भी कारागार में कथित रूप से हत्या कर दी गई थी।

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