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रूपये की स्थिति पर आरबीआई की नजर- प्रणब
क्लीन मीडिया संवाददाता
नई दिल्ली, 19 नवम्बर (सीएमसी) : भारतीय रुपये के डालर के मुकाबले कमजोर होकर 32 महीने के निचले स्तर पर चले जाने के बीच वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक स्थिति पर ‘नजर’ रखे हुए है.
मुखर्जी ने कहा, ‘आरबीआई इसपर (रुपये के अवमूल्यन) नजर रखे हुए है. वे उपयुक्त स्तर पर, परिस्थिति पर नजर रखे हुए हैं.’ बैंकों और आयातकों द्वारा डालर की मांग बढ़ाए जाने के बीच एक डालर के लिए लोगों को 51 रुपये चुकाना पड़ रहा है. कल अंतरबैंकीय विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डालर के मुकाबले रुपया 44 पैसे कमजोर होकर 51.34.35 प्रति डालर पर बंद हुआ.
बाजार में चर्चा है कि रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से रुपये में आ रही गिरावट पर लगाम लगाने के लिए डालर जारी करने के लिए कहा है. विनिमय की सामान्य दर और केंद्रीय बैंक द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बारे में मुखर्जी ने कहा, ‘मैं कोई अनुमान नहीं लगा रहा हूं और न ही मुझे सामान्य स्तर पता है. मैं रिजर्व बैंक के सलाह पर निर्भर हूं.’
भारतीय रुपया मूल्य ह्रास के लिहाज से दुनिया में चौथे और एशियाई महाद्वीप में पहले स्थान पर है. इसके बारे में रिजर्व बैंक का कहना है कि ऐसा मांग-आपूर्ति की वजह से विश्व स्तर पर हो रहा है. रुपये में आ रही कमजोरी भारत के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि देश अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत तेल और गैस का आयात करता है. रुपये में अवमूल्यन की वजह से आयात महंगा होता जा रहा है. रुपये में अवमूल्यन ऐसे समय में आया है जबकि थोक मुद्रास्फीति दर लगातार 11 महीने से नौ प्रतिशत से उपर के स्तर पर बनी हुयी है.
हफ्ते की शुरूआत में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा कि शीर्ष बैंक सिर्फ उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करेगा. गोकर्ण ने कहा, ‘हम तभी हस्तक्षेप करेंगे जब किसी खास दिशा में रुपये में भारी उतार-चढ़ाव आ रहा हो. इसका उद्देश्य उतार-चढ़ाव को प्रवाहमय बनाना होगा न कि दर निर्धारित करना.’
रूपये की स्थिति पर आरबीआई की नजर- प्रणब
क्लीन मीडिया संवाददाता
नई दिल्ली, 19 नवम्बर (सीएमसी) : भारतीय रुपये के डालर के मुकाबले कमजोर होकर 32 महीने के निचले स्तर पर चले जाने के बीच वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक स्थिति पर ‘नजर’ रखे हुए है.
मुखर्जी ने कहा, ‘आरबीआई इसपर (रुपये के अवमूल्यन) नजर रखे हुए है. वे उपयुक्त स्तर पर, परिस्थिति पर नजर रखे हुए हैं.’ बैंकों और आयातकों द्वारा डालर की मांग बढ़ाए जाने के बीच एक डालर के लिए लोगों को 51 रुपये चुकाना पड़ रहा है. कल अंतरबैंकीय विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डालर के मुकाबले रुपया 44 पैसे कमजोर होकर 51.34.35 प्रति डालर पर बंद हुआ.
बाजार में चर्चा है कि रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से रुपये में आ रही गिरावट पर लगाम लगाने के लिए डालर जारी करने के लिए कहा है. विनिमय की सामान्य दर और केंद्रीय बैंक द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बारे में मुखर्जी ने कहा, ‘मैं कोई अनुमान नहीं लगा रहा हूं और न ही मुझे सामान्य स्तर पता है. मैं रिजर्व बैंक के सलाह पर निर्भर हूं.’
भारतीय रुपया मूल्य ह्रास के लिहाज से दुनिया में चौथे और एशियाई महाद्वीप में पहले स्थान पर है. इसके बारे में रिजर्व बैंक का कहना है कि ऐसा मांग-आपूर्ति की वजह से विश्व स्तर पर हो रहा है. रुपये में आ रही कमजोरी भारत के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि देश अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत तेल और गैस का आयात करता है. रुपये में अवमूल्यन की वजह से आयात महंगा होता जा रहा है. रुपये में अवमूल्यन ऐसे समय में आया है जबकि थोक मुद्रास्फीति दर लगातार 11 महीने से नौ प्रतिशत से उपर के स्तर पर बनी हुयी है.
हफ्ते की शुरूआत में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा कि शीर्ष बैंक सिर्फ उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करेगा. गोकर्ण ने कहा, ‘हम तभी हस्तक्षेप करेंगे जब किसी खास दिशा में रुपये में भारी उतार-चढ़ाव आ रहा हो. इसका उद्देश्य उतार-चढ़ाव को प्रवाहमय बनाना होगा न कि दर निर्धारित करना.’
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