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Friday, 25 November 2011

सुखराम की अपील पर सीबीआई को नोटिस

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सुखराम की अपील पर सीबीआई को नोटिस 
क्लीन मीडिया संवाददाता 


नई दिल्ली, 25 नवम्बर (सीएमसी): दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 1996 में दूरसंचार कंपनी को ठेका देने के लिए रिश्वत लेने का दोषी ठहराये जाने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम की अपील पर शुक्रवार को सीबीआई को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा।

 अदालत ने इसके साथ ही 86 वर्षीय सुखराम की ओर से स्वास्थ्य एवं अधिक उम्र को ध्यान में रखते हुए सजा पर रोक के लिए दायर आवेदन पर उनकी मेडिकल रिपोर्ट मांगी। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने सीबीआई को नोटिस जारी करके उसे 28 नवम्बर तक जवाब देने का निर्देश दिया।
 सुखराम के लिए पेश होते हुए वरिष्ठ वकील अरविंद निगम ने दलील दी कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किल को केवल अनुमान के आधार पर दोषी ठहरा दिया।
 पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में दूरसंचार मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले सुखराम को 17 नवम्बर को केबल ठेका मामले में दोषी ठहराया गया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने आर पी पांडेय ने गत 19 नवम्बर को उन्हें पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी।
 निचली अदालत के उस फैसले का उल्लेख करते हुए जिसमें उसने परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भरोसा किया था, सुखराम के वकील ने कहा कि अदालत ने उस तथ्य को नजरंदाज किया कि सीबीआई उस लिफाफे को बरामद करने में असफल रही थी जिसमें रुपये रखे गए थे। उन्होंने दलील दी कि अभियोजन पक्ष के कुछ गवाहों ने सीबीआई के उस दावे का समर्थन नहीं किया था कि 500 रुपये के छह बंडल (तीन लाख रुपये) के साथ ही एक परिचय कार्ड लिफाफे में रखा गया था। इसके बावजूद निचली अदालत के न्यायाधीश ने सुखराम को दोषी ठहरा दिया।
 निगम ने कहा, ‘‘लिफाफे में राशि और परिचय कार्ड के बारे में सीबीआई का पूरा दावा बनावटी था। अदालत में न तो लिफाफा और न ही नकदी ही पेश की गई।’
 वकील ने इसके साथ ही स्वास्थ्य आधार पर सुखराम की सजा पर रोक लगाने और उन्हें जमानत पर रिहा करने की मांग की। वकील ने दावा किया कि चिकित्सक की सलाह पर सुखराम नियमित तौर पर इंसुलिन लेते हैं। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने आरोपी को सजा सुनाने से पहले पेश किये गए चिकित्सकीय दस्तावेजों को नजरंदाज किया।

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