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Monday, 16 April 2012

India - Pakistan moved troops from Siachen

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भारत-पाक सियाचिन से हटाए सेना
क्लीन मीडिया संवाददाता 

इस्लामाबाद: 16 अप्रैल: (सीएमसी)  सियाचिन सेक्टर में हुए हिमस्खलन में 127 पाकिस्तानी सैनिकों के दब जाने की घटना के मद्देनजर पाकिस्तान के पूर्व सैनिक संगठन पीईएसएस ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान को इलाके में तैनात सभी जवानों को शांतिकालीन सीमा चौकियों तक वापस बुलाना चाहिए और दोनों देशों के बीच सौहार्द्रपूर्ण रिश्ते केवल राजनीति और व्यापार तक सीमित नहीं रहने चाहिए। हिमस्खलन की घटना के एक हफ्ते बाद मांग की गयी है। सियाचिन क्षेत्र में हुई इस घटना में 127 जवान और 11 नागरिक बर्फ के नीचे दब गये थे।
संगठन ‘पाकिस्तान एक्स.सर्विसमैन सोसायटी’ ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ रिश्ते सौहार्द्रपूर्ण करने के लिए प्रयास तेज करने चाहिए क्योंकि तनाव किसी भी देश के हित में नहीं है। पीईएसएस की कल रावलपिंडी में हुई बैठक में ये बातें सामने आईं।
सोसायटी के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फैज अली चिश्ती ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा, दोनों पड़ोसी देश दुश्मन नहीं हो सकते जिन्होंने एक दूसरे को अपना सबसे पसंदीदा देश बताया है। सोसायटी के सदस्यों ने कहा कि सियाचिन पर गतिरोध के चलते वहां कई लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। साथ ही पर्यावरण तथा पाकिस्तान और भारत की अर्थव्यवस्थाओं पर इसके असर की अनदेखी नहीं की जा सकती।
सोसायटी ने इस बात पर खेद जताया कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने हिमस्खलन में मारे गये लोगों के परिजनों से कोई सहानुभूति नहीं जताई।
सदस्यों ने कहा कि सरकार ने अभी तक मृतकों के परिजनों के लिए किसी पैकेज की घोषणा नहीं की है।
सोसायटी ने बयान जारी कर कहा, इसके बजाय राष्ट्रपति ऐसे समय में एक निजी यात्रा पर जाने से बच सकते थे जब देश पाकिस्तान की रक्षा करते हुए जान गंवाने वालों के दर्द और पीड़ा को महसूस कर रहा है। सात अप्रैल को हिमस्खलन की घटना के एक दिन बाद जरदारी ने भारत की एक दिन की निजी यात्रा की थी जहां उन्होंने दोपहर के भोजन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी और अजमेर दरगाह गये थे।
भारत और पाकिस्तानी सैनिक 1984 से सियाचीन पर गतिरोध में उलझे हैं। 

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