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Friday, 13 April 2012

Azad's independent investigation of the murder - Supreme Court

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आजाद हत्याकांड की हो स्वतंत्र जाँच- सुप्रीम कोर्ट 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

नई दिल्ली: १३ अप्रैल: (सीएमसी)   सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष माओवादी नेता चेरूकुरी राजकुमार उर्फ आजाद और पत्रकार हेमचंद्र पांडे की आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में हत्या किए जाने की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने पर शुक्रवार को सहमति जता दी। सीबीआई ने मुठभेड़ को सही बताते हुए पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने याचिका पर तब सुनवाई करने पर सहमति जता दी जब अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सीबीआई जांच की विश्वसनीयता पर संदेह जताया।  उन्होंने संदेह जताया कि जांच को केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रभावित किया क्योंकि आईपीएस अधिकारी सीधे उनके मंत्रालय के तहत आते हैं।
भूषण ने न्यायालय से कहा कि सीबीआई जांच में आंध्र प्रदेश पुलिस को क्लीन चिट दिए जाने और मुठभेड़ को सही बताने वाली रिपोर्ट पर भरोसा नहीं होता क्योंकि एजेंसी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कई कमियां हैं। भूषण ने दावा किया कि आंध्र प्रदेश पुलिस बिना गृह मंत्री की मंजूरी के आजाद की हत्या नहीं कर सकती थी क्योंकि वह माओवादियों और सरकार के बीच संघर्ष विराम पर बातचीत को लेकर आजाद के संपर्क में थे।
न्यायालय ने शुरूआत में भूषण की याचिका पर विचार करने में अपनी असहमति जताई। हालांकि बाद में न्यायालय ने नरम रुख अपनाते हुए उनकी ओर से लिखित में दी गई दलीलों का अध्ययन करने पर सहमति जताई। लिखित दलीलों में सीबीआई के निष्कर्ष पर हमला किया गया है। भूषण मारे गए पत्रकार हेमचंद्र पांडेय की पत्नी बिनीता पांडेय का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
शीर्ष अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की याचिका का भी परीक्षण करने पर सहमति जताई जिसमें सीबीआई रिपोर्ट की जांच की मांग की गई है। हालांकि, इसका एजेंसी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल हरेन रावल ने विरोध किया। आजाद और पांडे की जुलाई 2010 में आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 16 मार्च को कहा था कि सीबीआई जांच में स्थापित हुआ है कि भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति के वरिष्ठ सदस्य आजाद और पांडे की आंध्र प्रदेश पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में हत्या नहीं की है। जांच के संबंध में सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने वाली पीठ ने कहा था कि एजेंसी ने अपनी जांच के समर्थन में साक्ष्य दिए हैं।

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