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‘शीर्ष कोर्ट का दिशानिर्देश स्वागत योग्य’
‘शीर्ष कोर्ट का दिशानिर्देश स्वागत योग्य’
क्लीन मीडिया संवाददाता
नई दिल्ली, 31 जनवरी, सीएमसी: केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिंदबरम ने लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का मंगलवार को स्वागत किया। इस बारे में किए गए सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि यह सवाल गृह मंत्रालय से जुड़ा नहीं है, लेकिन चूंकि यह आपराधिक कानून से जुड़ा प्रश्न है इसलिए मैं जवाब दे सकता हूं। मैंने आदेश पढ़ा नहीं है, लेकिन जितनी जानकारी मिली है और जो कानूनी स्थिति बनती है, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह फैसला स्वागत योग्य है।
अब अभियोग चलाने की मंजूरी देने वाले संबंधित अधिकारी को उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि 2-जी मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं और मैंने पूरा आदेश नहीं पढ़ा है।
वहीं, चिदंबरम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) के दायरे से हटाने के बारे में फैसला कब तक होगा, अभी यह मालूम नहीं है। चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि एएफएसपीए पर फैसला सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) को करना है। सीसीएस की बैठक कब होगी, अभी इस बारे में कुछ पता नहीं है लेकिन सूचना मिलने पर बताया जाएगा।
जम्मू कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान पर सिफारिशें पेश करने के लिए नियुक्त वार्ताकारों के दल की रपट पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सीसीएस की एक बैठक में इस पर केवल संक्षिप्त चर्चा हुई है । विस्तार से विचार के लिए सीसीएस की बैठक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुलाएंगे।
चिदंबरम ने कहा कि मैं लगातार आश्वस्त करता आ रहा हूं कि सीसीएस की बैठक में इस रपट पर विचार होने के बाद इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद राधा कुमार और सूचना आयुक्त एमएम अंसारी के एक दल की नियुक्ति केंद्र सरकार ने की थी, जिसे जम्मू कश्मीर की समस्याओं के राजनीतिक समाधान पर रपट पेश करने का जिम्मा सौंपा गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि ध्रुव के बदले जब तक कोई अन्य हेलीकाप्टर केन्द्रीय सुरक्षाबलों को नहीं मिल जाता, एमआई-17 हेलीकाप्टरों का ही इस्तेमाल जारी रहेगा। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि तेलंगाना पर आगे का कोई भी कदम आंध्र प्रदेश के चार राजनीतिक दलों की अंतिम राय पर निर्भर करेगा और इससे पहले इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
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