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Saturday, 28 April 2012

Against terrorism will be one - Moon

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आतंकवाद के खिलाफ एक हो- मून 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

नई दिल्ली: 28 अप्रैल: (सीएमसी) आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से लड़ने का आह्वान करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून कहा कि 26/11 के हमलावरों को जल्द से जल्द न्याय के कठघरे में लाने की जरूरत है और भारत-पाक की सरकारें इस दिशा में काम कर रहीं हैं।
आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने की वकालत करते हुए मून ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘आतंकवाद को किसी भी स्तर पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसे जड़ से समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए। भारत-पाकिस्तान इस मामले में गंभीरता से काम कर रहे हैं। दोनों देशों के नेताओं को अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए काम करना चाहिए।’ ‘नमस्ते’ से अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए बान ने कहा कि भारत विविधता में एकता वाला देश है जो पूरी दुनिया को सतत विकास का संदेश दे सकता है।
मून ने पश्चिम एशियाई देशों में लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया में भारत की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए सतत प्रयास जारी रखने चाहिए। उन्होंने कश्मीर मुद्दे का समाधान वहां की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप किये जाने की वकालत की। बान ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात में आतंकवाद निरोधक कार्रवाई पर चर्चा की।
संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों की पूर्ति में भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए बान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रमुख अस्थाई सदस्य के तौर पर इस देश ने शांति और मानवाधिकारों के मुद्दे पर नेतृत्व की भूमिका निभाई है और वह पश्चिम एशिया और अन्य क्षेत्रों के देशों में राजनीतिक स्थिरता और लोकतंत्रीकरण में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि वह भारत को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेंगे कि वह क्षेत्रीय और वैश्विक ताकत के रूप में शांति और सुरक्षा को आगे बढ़ाए, अपने अनुभवों को साझा करे और विकासशील देशों के बीच सहयोग की भावना का विकास करने के लिए काम करे।
अफगानिस्तान के हालात पर उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को पड़ोसी देशों के तौर पर इस अशांत देश में अहम भूमिका निभानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार की जरूरत को स्वीकार करते हुए बान ने कहा कि बदलते समय के साथ पुराने मॉडल कारगर नहीं होंगे। कई वैश्विक चुनौतियां हैं जिनसे कोई भी देश अकेले नहीं लड़ सकता। सभी सदस्य राष्ट्रों का एक समान मकसद होना चाहिए। भारत के आर्थिक विकास को प्रभावशाली बताते हुए उन्होंने कहा कि अनेक धर्म, अनेक भाषा वाले विविधतापूर्ण देश में अब भी कई चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की जरूरत है। 

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