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Sunday, 1 April 2012

सिख विरोधी दंगों के दौरान पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से काम

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सिख विरोधी दंगों के दौरान पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से काम 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

नई दिल्ली: 1 अप्रैल: (सीएमसी)  सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि दिल्ली पुलिस ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पूर्व नियोजित तरीके से काम किया और हिंसा को लेकर अपनी ‘आंखें मूंदे’ रखीं।
1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में अंतिम दलील देते हुए सीबीआई के वकील आर.एस. चीमा ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने ‘जानबूझकर’ उस तरीके से कार्रवाई नहीं की, जैसा उससे करने की अपेक्षा थी। चीमा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) जे.आर. आर्यन से कहा, ‘यह ऐसा मामला था जहां पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से कार्रवाई की और हर पुलिसकर्मी अपनी आंखें मूंदे हुए था।’ उन्होंने कहा कि दंगा की घटनाओं के संबंध में करीब 150 शिकायतें मिलीं लेकिन पुलिस ने सिर्फ पांच प्राथमिकी दर्ज की।
उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने जो भी कार्रवाई की वह उन लोगों के खिलाफ की जिन्होंने सिखों की मदद की। पुलिस ने मुख्य अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। दंगों के दौरान कोई भी पुलिसकर्मी शिकायत नहीं दर्ज कर रहा था। वे पीड़ितों की मदद करने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर रहे थे।’ यहां तक कि मामले में बचाव पक्ष के गवाह पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने दंगों के दौरान कुछ भी नहीं देखा।
दलीलों के दौरान अदालत ने अभियोजक से पूछा कि क्या सीबीआई के पास सज्जन कुमार और पांच अन्य आरोपियों किशन खोक्कर, गिरधारी लाल, महेंद्र यादव, बलवान खोक्कर और कप्तान भागमल के खिलाफ इस बात को दर्शाने के लिए प्रत्यक्ष सबूत हैं कि वे सिखों की हत्या के लिए भीड़ को उकसा रहे थे। न्यायाधीश ने पूछा, ‘गवाहों के अतिरिक्त क्या आपके पास इस बात को दर्शाने के लिए समाचार पत्रों में छपी खबरें या तस्वीरें हैं कि सज्जन कुमार भीड़ को संबोधित कर रहे थे। क्या आपके पास आरोपी के खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत है।’ 

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