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Sunday, 26 February 2012

यूपी सरकार ने लिया पोंटी चड्डा का पक्ष

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यूपी सरकार ने लिया पोंटी चड्डा का पक्ष 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

लखनऊ, 26 फरवरी (सीएमसी): उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार को राज्य में हुए एक अन्य घोटाले में संलिप्त पाया गया है। यह घोटाला राज्य के स्वामित्व वाली 11 चीनी मिलों में हिस्सेदारी के विनिवेश से जुड़ा है।
 भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) कार्यालय के मुताबिक माना जाता है कि विनिवेश के लिए हुए इस करार से राज्य के राजस्व को कम से कम 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
 कई बिंदुओं पर राज्य सरकार को दोषी पाते हुए सीएजी ने सरकार के स्वामित्व वालीं चीनी मिलों के विनिवेश की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं एवं विसंगतियों को उजागर किया है।
 अपनी 26 पन्नों की रिपोर्ट में सीएजी ने इस बात को गम्भीरता से लिया है कि मई 2007 में सत्ता में आने के महज डेढ़ महीने बाद ही मुख्यमंत्री मायावती की नेतृत्ववाली बसपा सरकार ने उत्तर प्रदेश चीनी निगम द्वारा संचालित 11 चीनी मिलों में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की।
 रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मिलों में हिस्सेदारी के विनिवेश प्रक्रिया में नियमों का खुलकर उल्लंघन किया गया और काफी कम कीमत में मिलें निजी उद्यमियों को बेच दी गईं।
 रिपोर्ट में वेब इंडस्ट्रीज और पीबीएस फूड्स को दोषी ठहराया गया है। ये दोनों कम्पनियां शराब कारोबारी गुरप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ पोंटी चड्ढा की हैं। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चड्ढा की सम्पत्तियों पर छापे मारे थे जिसकी वजह से पोंटी चर्चा में आए थे।
 सीएजी के मुताबिक,  इन दोनों कम्पनियों ने एक ही तिथि और क्रमवार संख्या वाले निविदा आवेदन दस्तावेज खरीदने के लिए डिमांड ड्रॉफ्ट जमा किए। साथ ही इन दोनों कम्पनियों ने पावर आफ अटार्नी वाले जो स्टांप दस्तावेज सौंपे थे उन पर एक ही पता था जो वास्तव में वेब इंडस्ट्रीज का डाक पता है।
 रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा दोनों कम्पनियों ने जो बैंक गारंटी जमा की, उस बैंक गारंटी को एक ही दिन एक बैंक की एक शाखा से जारी किया गया। यहां तक कि तीन निदेशक दोनों कम्पनियों में हैं।
 रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी मिल की तीन इकाइयों बिजनौर, बुलंदशहर और सहारनपुर के लिए बोली लगाने वालों में केवल ये दो कम्पनियां ही थीं।
 रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इन मिलों को उनकी वास्तविक कीमत से काफी कम दाम में बेचा जिसकी वजह से राजकोष को भारी क्षति पहुंची। इसके अलावा अन्य प्रक्रियाओं में कम्पनियों और राज्य सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी और अनियमितताएं की गईं जिसकी वजह से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। 

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