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उत्तरी अफ्रीका में ठिकाने बना रहे हैं अलकायदा आतंकी
क्लीन मीडिया संवाददाता लंदन, 26 दिसम्बर (सीएमसी) : उत्तर अफ्रीका के जेहाद के नये खतरे के रूप में उभरने की आशंका है क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से अलकायदा नेता अपने ठिकाने लीबिया जैसे देशों में ले जा रहे हैं ।
गार्जियन ने शीर्ष ब्रिटिश अधिकारियों के हवाले से बताया कि अल कायदा के कम से कम दो शीर्ष नेता पहले ही लीबिया जा चुके हैं जबकि कुछ अन्य को जाने के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया गया । इससे आने वाले महीनों में जेहाद का नया खतरा हो सकता है ।
एक सूत्र ने बताया कि उत्तर अफ्रीका में काफी अनुभवी नेताओं के एक समूह ने अफगानिस्तान का (उत्तर पूर्वी ) कुनार प्रांत स्थिति शिविर छोड दिया है जहां वह कई साल से थे । वहां से वह फिर पश्चिम एशिया आ गये हैं । एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ड्रोन हमलों के बाद से अलकायदा के वरिष्ठ सदस्य अफ्रीका का रूख कर रहे हैं हैं ।
मई में ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी कार्रवाई में मारे जाने के बाद से अलकायदा के कई नेता मारे जा चुके हैं।
ख़बरों के अनुसार वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि 2012 में ‘आखरी अभियान ’ में बचे खुचे अलकायदा नेता मारे जायेंगे । अखबार के अनुसार ‘ यह स्पष्ट नहीं है कि पश्चिम एशिया से उत्तर अफ्रीका का रूख सुरक्षा के लिहाज से किया जा रहा है अथवा यह अरब क्रांति के बाद की स्थिति का लाभ उठाने की रणनीति का हिस्सा है । ’
ख़बरों के अनुसार वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि 2012 में ‘आखरी अभियान ’ में बचे खुचे अलकायदा नेता मारे जायेंगे । अखबार के अनुसार ‘ यह स्पष्ट नहीं है कि पश्चिम एशिया से उत्तर अफ्रीका का रूख सुरक्षा के लिहाज से किया जा रहा है अथवा यह अरब क्रांति के बाद की स्थिति का लाभ उठाने की रणनीति का हिस्सा है । ’
ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने हाल में आगाह किया था लीबिया से खदेड़े गये भाडे के सैनिक अलकायदा से जुड सकते हैं । अलकायदा नेता आयमन अल-जवाहिरी ने लीबियाई लड़कों से आत्मसमर्पण न करने अथवा हथियार नहीं त्यागने को कहा था ।
ब्रिटेन और अमेरिका के खुफिया सूत्रों का अनुमान है कि अफगानिस्तान में अलकायदा अथवा उससे जुड़े उग्रवादियों की संख्या 100 से भी कम है और उनमें से मुट्ठीभर ही ब्रिटेन अथवा पश्चिमी देशों के लिये खतरा हैं।
ख़बरों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मामलों को देखने वाले विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि अलकायदा के बजाय अफगान- पाक सीमा पर उत्तरी वजीरिस्तान के अर्ध स्वायत्त एजेंसी में सक्रिय हक्कानी गुट जैसे स्थानीय नेटवर्क अधिक महत्वर्पूण है।
उसने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तानी खुफिया सेवाओं तथा उग्रवादी गुटों के बीच अंतरमध्यस्थ की तरह काम कर रहा है । पाकिस्तान के ठिकानों को उसने लक्ष्य नहीं बनाया है जबकि वह अफगानिस्तान में नाटो एवं पश्चिमी ठिकानों को निशाना बनाता रहा है ।
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