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Friday 30 December 2011

धनबल चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बना- चुनाव आयुक्त

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धनबल चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बना- चुनाव आयुक्त 
क्लीन मीडिया संवाददाता 


देहरादून, 30 दिसम्बर (सीएमसी) : मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने चुनाव में आर्थिक भ्रष्टाचार को मुख्य कारण बताते हुए शुक्रवार को यहां कहा कि धन बल चुनाव का सबसे बडा मुद्दा बन गया है।
 उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्य के दो दिवसीय दौरे पर आये कुरैशी ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि चुनाव में करोडों रुपये खर्च किए जाते है और चुनाव जीतने के बाद उसकी वसूली में लोग लग जाते हैं। यही आर्थिक भ्रष्टाचार का मुख्य कारण हो गया है।
 मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आर्थिक भ्रष्टाचार बुनियाद तो चुनाव से ही शुरू होती है। इसलिए इसको रोकने के लिए आयोग द्वारा कई ऐहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न पार्टियों के साथ मुलाकात में उन लोगों को ‘पेड न्यूज’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है तथा चुनावी खर्चे के लिए अलग से विशेष खाता खोलने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कुरैशी ने बताया कि विभिन्न पार्टियों से बातचीत तथा अधिकारियों से मुलाकात के बाद उम्मीदवारों द्वारा किए जाने वाले खर्चे को नियंत्रित करने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई।
 कुरैशी ने बताया कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा की जाने वाली जनसभा की वीडियो रिकार्डिंग करायी जाएगी तथा पर्यवक्षकों द्वारा एक ‘शैडो रजिस्टर’ भी रखा जाएगा, जिसमें उम्‍मीदवार के खर्चे का अनुमानित विवरण दर्ज किया जाएगा और उसे उम्मीदवार के रजिस्टर से मिलान किया जाएगा। यदि कोई अंतर आएगा तो उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार के लिए 11 लाख रुपये के खर्च की सीमा तय की गई है। इसमें उम्मीदवारों का प्रत्येक चुनावी खर्च शामिल है। सभी उम्मीदवार को 14 दिनों में कम से कम तीन बार अपना रजिस्टर पर्यवेक्षक के सामने पेश करना होगा। कितनी सभायें की गईं और कितने दौरे किए गए इसका भी विवरण देना होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि पर्यवक्षकों को आदेश दिया गया है कि किसी प्रकार चुनावी गडबडी के बारे में मीडिया की रिपोर्टों का भी संज्ञान लें।
 उन्होंने कहा कि किसी के द्वारा शिकायत किए जाने का इंतजार नहीं करें, क्योंकि मीडिया तो चुनाव आयोग की आंख और कान हैं। उन्होंने बताया कि ‘पेड न्यूज’ की शिकायतों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में चार सदस्यीय एक मीडिया कमेटी बनाई गई है, जिसमें तीन सरकारी सदस्य हैं और भारतीय प्रेस परिषद के सुझाव पर एक पत्रकार को भी शामिल किया गया है।
 उन्होंने कहा कि इस कमेटी ने बिहार के चुनाव में काफी अच्छी भूमिका निभाई है। उस चुनाव में पेड न्यूज के 120 मामले पकडे गए, जिन्हें बाद में उम्मीदवार के खर्चे में शामिल किया गया। कुरैशी ने कहा कि कुछ उम्मीदवारों के अपने न्यूज चैनल या अखबार हैं। यदि उनके चैनल या अखबार में उनके चुनाव प्रचार से संबधित समाचार आते हैं तो उनके रेट लिस्ट में मिलाकर उसे उम्मीदवार द्वारा किया गया खर्च माना जाएगा। इससे सभी उम्मीदवारों को प्रचार खर्च के लिए बराबरी का मौका मिलेगा।

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