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Friday, 17 February 2012

रूस में गीता को लेकर एक बार फिर महाभारत

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रूस में गीता को लेकर एक बार फिर महाभारत 
क्लीन मीडिया संवाददाता 
मास्को: 17 फरवरी: (सीएमसी)  रूस में हिंदू अपने धार्मिक ग्रंथ भगवद् गीता को ‘चरमपंथी साहित्य’ बताए जाने और उसे प्रतिबंधित करने के प्रयासों के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए एक बार फिर लामबंद होने लगे हैं। सरकारी अभियोजकों ने पिछले साल दिसम्बर में आए फैसले को अदालत में चुनौती दी है।  सरकारी अभियोजक अपनी अपील दायर कर चुके हैं और न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए छह मार्च की तारीख मुकर्रर की है।
इस्कॉन के महत्वपूर्ण सदस्य साधु प्रिया ने बताया, अभियोजकों ने भगवद् गीता पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली अपनी याचिका खारिज हो जाने के बाद तोमस्क की अदालत में अपील की है। अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए छह मार्च की तारीख तय की है।

तोमस्क क्षेत्र के महाभियोजक वासिली वोइकिन ने अपने अपील में इस्कॉन के संस्थापक एसी भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपाद द्वारा लिखित ‘भगवद् गीता : एज इट इज’ लेख में शामिल रूसी अनुवाद को प्रतिबंधित करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि आईएएनएस ने इस मसले को दिसम्बर 2011 में उजागर किया था जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया। गीता पर प्रतिबंध लगाने की याचिका जून 2011 में दायर की गई थी।
साइबेरिया की अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने से एक दिन पहले भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने भारत में रूसी राजदूत अलेक्जेंडर कदाकिन से मुलाकात की और उनसे और मास्को सरकार से मामले का हल शीघ्र निकालने में मदद पहुंचाने का आह्वान किया था।

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