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अग्नि-1 मिसाइल का सफल परीक्षण
क्लीन मीडिया संवाददाता
बालेश्वर, 01 दिसंबर (सीएमसी) : भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम और 700 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल का सेना के प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर ओड़िशा तट के व्हीलर द्वीप से सफल परीक्षण किया.
रक्षा सूत्रों ने बताया, ‘देश में विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली ठोस प्रणोदक से संचालित एकल चरण मिसाइल को गुरुवार सुबह करीब नौ बजकर 25 मिनट पर एकीकृत परीक्षण स्थल के प्रक्षेपण पैड-4 से एक मोबाइल लॉंचर के जरिए दागा गया.’ परीक्षण को सफल करार देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसने मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया.
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया कि सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने अपने प्रशिक्षण अभ्यास के तौर पर यह परीक्षण किया जिसके लिए साजो सामान संबंधी मदद डीआरडीओ ने मुहैया कराई. उन्होंने कहा कि अग्नि-1 में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चत करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे.
मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर अत्याधुनिक राडारों समुद्र तट के पास स्थित इलेक्ट्रो..ऑप्टिक टेलीमेट्री केंद्रों और ‘डाउनरेंज’ क्षेत्र में प्रभाव बिन्दु के नजदीक तैनात पोतों के जरिए नजर रखी गई.
बारह टन वजनी और 15 मीटर लंबी अग्नि-1 अपने साथ एक हजार किलोग्राम तक का भार ले जा सकती है जिसे सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है.
अग्नि-1 को डीआरडीओ की प्रमुख मिसाइल विकास प्रयोगशाला ‘एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरैटरी’ (एएसएल) द्वारा रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) के सहयोग से विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) हैदराबाद द्वारा एकीकृत किया गया था.
अग्नि-1 का अंतिम सफल परीक्षण इसी स्थल से 25 नवम्बर 2010 को किया गया था.
सूत्रों ने कहा कि क्योंकि मिसाइल पहले ही सेना में शामिल की जा चुकी है इसलिए रक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण अभ्यास और उनके कौशल में सुधार के लिए प्रायोगिक परीक्षण करना आवश्यक है.
अग्नि-1 मिसाइल का सफल परीक्षण
क्लीन मीडिया संवाददाता
बालेश्वर, 01 दिसंबर (सीएमसी) : भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम और 700 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल का सेना के प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर ओड़िशा तट के व्हीलर द्वीप से सफल परीक्षण किया.
रक्षा सूत्रों ने बताया, ‘देश में विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली ठोस प्रणोदक से संचालित एकल चरण मिसाइल को गुरुवार सुबह करीब नौ बजकर 25 मिनट पर एकीकृत परीक्षण स्थल के प्रक्षेपण पैड-4 से एक मोबाइल लॉंचर के जरिए दागा गया.’ परीक्षण को सफल करार देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसने मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया.
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया कि सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने अपने प्रशिक्षण अभ्यास के तौर पर यह परीक्षण किया जिसके लिए साजो सामान संबंधी मदद डीआरडीओ ने मुहैया कराई. उन्होंने कहा कि अग्नि-1 में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चत करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे.
मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर अत्याधुनिक राडारों समुद्र तट के पास स्थित इलेक्ट्रो..ऑप्टिक टेलीमेट्री केंद्रों और ‘डाउनरेंज’ क्षेत्र में प्रभाव बिन्दु के नजदीक तैनात पोतों के जरिए नजर रखी गई.
बारह टन वजनी और 15 मीटर लंबी अग्नि-1 अपने साथ एक हजार किलोग्राम तक का भार ले जा सकती है जिसे सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है.
अग्नि-1 को डीआरडीओ की प्रमुख मिसाइल विकास प्रयोगशाला ‘एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरैटरी’ (एएसएल) द्वारा रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) के सहयोग से विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) हैदराबाद द्वारा एकीकृत किया गया था.
अग्नि-1 का अंतिम सफल परीक्षण इसी स्थल से 25 नवम्बर 2010 को किया गया था.
सूत्रों ने कहा कि क्योंकि मिसाइल पहले ही सेना में शामिल की जा चुकी है इसलिए रक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण अभ्यास और उनके कौशल में सुधार के लिए प्रायोगिक परीक्षण करना आवश्यक है.
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