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माओवादियो ने चार साल में 1800 से ज्यादा अपरहण किया
क्लीन मीडिया संवाददाता
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नई दिल्ली: 25 मार्च: (सीएमसी) ओडिशा में दो इतालवी पर्यटकों और फिर बीजद के एक आदिवासी विधायक का अपहरण नक्सलियों की रणनीति के लिहाज से कोई नयी बात नहीं है । 2008 और उसके बाद के चार साल में माओवादियों ने 1500 से अधिक लोगों का अपहरण किया और इनमें से 328 को मौत के घाट उतार दिया ।
एक अधिकारी के मुताबिक 2008 और उसके बाद के चार साल के आंकडों पर नजर डालें तो आप पाएंगे माओवादियों ने 1500 से अधिक लोगों का अपहरण किया, जिनमें कई स्थानीय नेता और पुलिस प्रशासन के अधिकारी शामिल थे ।
अधिकारी ने कहा कि अधिकांश मामलों में नक्सली छोटी बडी शर्तें मनवाने के बाद अपहृत व्यक्ति को छोड देते हैं लेकिन कई मामलों में वे पूरी बर्बरता से अपहृत की हत्या कर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं ।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकडे इस बात की गवाही देते हैं कि 2008 में माओवादियों द्वारा अपहरण की 108 वारदात हुई । इनमें 280 लोगों का अपहरण किया गया और 47 लोगों को बड़ी बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया । मंत्रालय के मुताबिक 2009 में नक्सलियों ने 437 लोगों का अपहरण किया और मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में 100 लोगों की हत्या कर दी ।
उस समय सबसे अधिक 146 लोगों का अपहरण झारखंड में हुआ जबकि 121 लोगों को छत्तीसगढ में अगवा किया गया। दिलचस्प बात यह है कि अपहृत लोगों की हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल शीर्ष सर्वाधिक बदनाम रहा, जहां 65 लोगों का अपहरण किया गया और उनमें से 34 को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया । मंत्रालय ने बताया कि 2010 में नक्सलियों द्वारा अपहरण की 242 वारदात हुई ।
कुल 517 लोगों का अपहरण किया गया और इनमें से 118 को माओवादियों ने मौत के घाट उतार दिया । सबसे अधिक 162 लोगों का अपहरण छत्तीसगढ में, 121 लोगों का झारखंड में, 74 का पश्चिम बंगाल में और 55 लोगों का ओडिशा में अपहरण किया गया । इस बार भी सबसे अधिक 59 लोगों को नक्सलियों ने पश्चिम बंगाल में मौत के घाट उतारा । अधिकारी के मुताबिक यदि मध्य नवंबर 2011 तक के आकलन पर नजर डालें तो पाएंगे कि नक्सलियों ने 320 लोगों का अपहरण किया और इनमें से 63 को मौत के घाट उतार दिया ।
सबसे अधिक 100 अपहरण झारखंड में हुए । नाटकीय रूप से बिहार में 78 लोगों का अपहरण हुआ, छत्तीसगढ के आंकडों में काफी कमी दर्ज की गयी और 61 लोगों का अपहरण माओवादियों ने किया जबकि ओडिशा में 43 और पश्चिम बंगाल में 21 लोगों का अपहरण नक्सलियों ने किया ।
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