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Monday 26 March 2012

मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे की सजा पर राजनीति

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मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे की सजा पर राजनीति 
क्लीन मीडिया संवाददाता 

चंडीगढ़: 26 मार्च: (सीएमसी)  सत्तारूढ़ अकाली दल का समर्थन मिलने के बाद सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) बलवंत सिंह राजोआना के लिए राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करेगी। राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। सत्तारूढ़ दल के सहयोगी भाजपा ने इस मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ लिया।
शिअद के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा रविवार शाम बुलाई गई आपात बैठक में कोर समिति ने कहा कि भाई राजोआना के प्रति दया बरतने के लिए पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है ताकि राज्य में बमुश्किल लौटी शांति और सांप्रदायिक सौहाद्र्र नहीं बिगड़े। राजोआना के प्रति नरमी बरतने के अभियान के बीच पटियाला केंद्रीय कारागार ने एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार उसके मौत के वारंट को लौटा दिया। बेअंत के परिवार के लोग भी राजोआना के प्रति नरमी बरतने के पक्ष में हैं। पटियाला जेल के अधीक्षक लखविंदर सिंह जाखड़ ने कल शाम राजोआना की मौत के वारंट को वापस लौटा दिया था। राजोआना बब्बर खालसा का आतंकवादी है।
कोर समिति की बैठक में मुद्दे पर दो घंटे तक विचार-विमर्श हुआ जिसने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से कहा कि भारत के राष्ट्रपति के समक्ष वह तुरंत दया याचिका दायर करे। पार्टी के महासचिव दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि समिति ने पंजाब की सरकार से भी कहा कि उसके लिए नरमी बरतने की खातिर वह हरसंभव वैधानिक एवं अन्य कदम उठाए। बैठक में मौजूद पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि कल वह विधानसभा में इस विषय पर विशेष बयान देंगे।
जेल अधीक्षक जाखड़ ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शालिनी सिंह नागपाल (चंडीगढ़) को भेजे संदेश में कहा कि प्रक्रिया में वैधानिक खामियां हैं और यह पंजाब राज्य का मामला नहीं है। इससे पहले इसी हफ्ते पटियाला जेल के अधीक्षक ने मौत के वारंट को लौटा दिया था।
जेल अधीक्षक ने अपने पत्र में उच्च न्यायालय के नियमों का जिक्र किया था कि जब उच्च न्यायालय द्वारा मौत की सजा की पुष्टि की जाती है तो सत्र न्यायाधीश मौत का वारंट जेल अधीक्षक को भेज सकते हैं। वारंट उस जेल अधीक्षक को भेजा जाता है जहां सजायाफ्ता मूल रूप से बंद होता है।
इस मामले में कैदी अन्य जेल में स्थानांतरित हो गया इसलिए जिस जेल अधीक्षक को वारंट भेजा गया वह इसे सत्र न्यायाधीश को लौटा सकता है और उस जेल अधीक्षक को पुनरीक्षित वारंट भेजा जाना है जिसमें कैदी बंद है।
राजोआना फिलहाल पटियाला जेल में है जबकि पहले वह चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल में बंद था। बहरहाल राजोआना ने सिखों के सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त की ओर से दी गई उपाधि जिंदा शहीद से इंकार कर दिया।
अपनी बहन कमलजीत कौर के माध्यम से जारी बयान में उसने कहा, फांसी पर लटकाए जाने के बाद मैं शहीद कहलाना पसंद करूंगा। कौर ने कल उससे पटियाला जेल में मुलाकात की थी।
पटियाला जेल के सूत्रों ने कहा कि राजोआना ने अपना शरीर और आंखें दान में देने की इच्छा जाहिर की थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने बेअंत सिंह हत्या मामले में राजोआना और जगतार सिंह हवारा को एक अगस्त 2007 को मौत की सजा सुनाई थी। शिअद की कोर कमेटी ने सभी राजनीतिक पार्टियों, संगठनों और नागरिकों से अपील की कि राजोआना की दया के लिए वे अपना समर्थन दें।
बहरहाल शिअद के सहयोगी दल भाजपा ने राजोआना विवाद मामले से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि मामला अदालत में है। पंजाब भाजपा के प्रमुख अश्विनी शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, यह निर्णय करना अदालत पर है और इसमें किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। उनसे पूछा गया था कि अगर शिरोमणि अकाली दल ने राजोआना को बचाने के लिए कदम उठाए तो उनकी पार्टी का रुख क्या होगा।
उन्होंने कहा, आतंकवाद पर भाजपा का रुख बिल्कुल साफ है। हम इसका किसी भी रूप में विरोध करते हैं। बहरहाल मुद्दे पर निर्णय अदालत को करना है और कानून अपना काम करेगा। इस मामले में तीन अन्य लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह को बेअंत सिंह की हत्या के षड्यंत्र में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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