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Tuesday 15 May 2012

To improve marketing of agricultural products- Pranav

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कृषि उत्पादों के विपणन में सुधार जरूरी
क्लीन मीडिया संवाददाता 

नई दिल्ली: 15 मई: (सीएमसी)  वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति पर चिंता जताते हुए कहा है कि कृषि उत्पाद विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों से कीमतों काबू किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर राज्यों के साथ विचार विमर्श करेंगे।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई का आंकड़ा बढ़ने पर अपनी प्रतिक्रिया में मुखर्जी ने कहा कि खाद्य उत्पादों की कीमतों पर अंकुश भंडारण सुविधाएं विकसित कर पाया जा सकता है। इसके साथ ही कृषि विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है। खासकर तब जब यह दो अंक में पहुंच चुकी है। भंडारण और शीत श्रृंखला सुविधाओं का विकास कर खाद्य मुद्रास्फीति से निपटा जा सकता है। साथ ही कृषि विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों की जरूरत है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने होंगे। मैं इस पर उनसे बातचीत करूंगा। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.23 फीसद पर पहुंच गई है। इससे पिछले महीने यह 6.89 प्रतिशत पर थी। खाद्य मुद्रास्फीति की दर 10 फीसद से उपर चल रही है जो चिंता का विषय बनी हुई है। महंगाई की दर में बढ़ोतरी सब्जियों, फलों, मीट, दूध, दालों और अन्‍य उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से हुई है। वित्त मंत्री ने हालांकि मूल मुद्रास्फीति में कमी पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि मूल मुद्रास्फीति का रुख संतोषजनक है। विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई में भी गिरावट का रुख है।
मूल मुद्रास्फीति की गणना में ईंधन और भारी उतार चढाव वाली कुछ वस्तुओं के मूल्य सूचकांक शामिल नहीं किए जाते। वित्त मंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि 2012-13 में मुद्रास्फीति 6.5 से 7 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। कृषि विपणन राज्य का विषय है और ज्यादातर राज्यों के खुद के कृषि उपज विपणन समिति कानून हैं।

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